भली करि आये भली करी आये पर्व मनायो सलूनो || झूमझूम झूलवत रंगरंगन रस वरखत व्रजदूनो || १ ||
एकवेष एकरूप एकगुण पूरण नाहिन उनो || द्वारकेश स्वामिनी हँस यों कह्यो झुलियें आजहे पून्यों || २ ||