Padh of the Day
Ushnakal – 06 – Govardhan Giri Saghan Kandra
गोवरधनगिरी सघनकंदरा
रेन निवास कियो पियप्यारी ||
उठचले भोर सुरत रंगभीने
नंदनंदन वृषभान दुलारी || १ ||
इत विगलित कचमाल मरगजी
अटपटे भूषन रगमगी सारी ||
उतही अधर मिस पाग रही
धस दुहूदिश छबि वाढि अति भारी || २ ||
घूमत आवत रतिरणजिते करिणि
संग गज गिरिवरधारी ||
चतुर्भुजदास निरख दंपतिसुख
तनमनधन कीनों बलिहारी || ३ ||