सखि जुरी आई श्यामघटा || .. (२)
दामिनी दमकत दादुर डाकट
बोलत नवल छटा || १ ||
अब कसें आवेंगे प्रीतम
जब बरसेंगे मेह ||
सगरे दिन रहीहे एकधारा
केसो व्हैहे नेह || २ ||
कौन जतनसों प्रात होयगो
कसें कलाप रहे ||
श्रीविट्ठलनाथ गिरिधर बिन
आये कसें धों ये करहे || ३ ||