जसोदा तेरे भागिकी कही न जाई | .. (२)
जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ
सो प्रगटे हैं आई || १ ||

शिव नारद सनकादिक
महामुनि मिलिवे करत उपाय |
ते नंदलाल धूरि धूसर
वपु रहत कंठ लपटाय || २ ||

रतन जटित पौढाय पालनें
बदन देखि मुसिकाय |
झूलौ मेरे लाल जाऊँ
बलिहारी परमानंद जस गाय || ३ ||